सर्वविदित है कि परमपिता परमेश्वर द्वारा रचित ब्रह्मांड में जीव धारियों में "मनुष्य" सर्वश्रेष्ठ कृति माना जाता है। मनुष्य की उत्पत्ति,समाजिक रहन-सहन,वस्ती गांवों में विभिन्न परिवार,वर्ग,वर्ण,जाति,खाप,गोत्र सदियों से ऊंच-नीच के भेदभाव से ग्रसित रहे हैं। प्रजापति समाज मिट्टी के बर्तनों पर आधारित आजीविका पर निर्भर रहा है। बदलते वक्त के अनुसार विज्ञान की नई नई खोज के कारण प्लास्टिक,पीतल,तांबा आदि में प्रजापति समाज के पुश्तैनी धंधे को चौपट कर दिया और प्रजापति समाज की आजीविका का मुख्य साधन मिट्टी के बर्तन बनाना धीरे-धीरे अवैज्ञानिक व प्रचलन से बाहर हो गया। परिस्थितियां ऐसी प्रतिकूल हुई कि प्रजापति समाज आर्थिक,शैक्षिक,राजनीतिक रूप से पिछड़ता चला गया।
समाज की आर्थिक,शैक्षिक एवं राजनैतिक पिछड़ेपन को दूर करने हेतु विभिन्न समाजिक संगठन बने, कार्य किए और समाप्त हो गए लेकिन प्रजापति समाज में सामाजिक चेतना का संचार करने में नाकामयाब रहे।
प्रजापति समाज के आर्थिक कमजोरी,शैक्षिक पिछड़ापन,राजनैतिक भागीदारी,स्वास्थ्य,संगठन एवं संघर्ष के प्रति समाज को जागृत करने के लिए ऐसे संगठन की आवश्यकता पड़ी जो समग्र रूप से समाज को जागृत कर जन चेतना का संचार कर सकें। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए समाज के कुछ चिंतनशील,प्रबुद्ध,विवेकशील,शिक्षित एवं समाज के प्रति चिंतित महानुभावों द्वारा दिनांक 03-07-2018 को ग्राम छलेरा,सेक्टर 44,जिला गौतम बुध नगर में सुरेंद्र कुमार प्रजापति के निवास पर एक चिंतन बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में उत्तर प्रदेश,दिल्ली,मध्य प्रदेश,हरियाणा,राजस्थान,बिहार,उत्तराखंडं,उड़ीसा,जम्मू,झारखण्ड प्रांत के प्रजापति समाज के सम्मानित व्यक्तियों द्वारा भाग लिया। इस सामाजिक बैठक में सर्वसम्मति से एक स्वर में एक ऐसी संस्था के गठन एवं रजिस्ट्रेशन कराने पर प्रस्ताव पारित किया गया जो समाज हित में,समस्त भारतवर्ष के बंधुओं को स्वास्थ्य,राजनैतिक,सामाजिक,शैक्षिक,आर्थिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के उत्थान का कार्य करेगी। सभी उपस्थित महानुभावों ने एकमत से नई संस्था का नाम सर्वसम्मति से "राष्ट्रीय प्रजापति महासंघ" रखने का प्रस्ताव पारित किया गया। राष्ट्रीय प्रजापति महासंघ संगठन के रजिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी श्री सुरेंद्र कुमार प्रजापति को सौंपी गई।